त्योहार तुम्हारे, ज्योनार हमारे

[देवेन्द्र मेवाड़ी जी द्वारा सुनाये गये श्यूँ बाघ के किस्से श्यूँ बाघ, देबुआ और प्यारा सेतुआ…., ओ पार के टिकराम और ए पार की पारभती, चिलम की चिसकाटी व बकरी चोर, श्यूं बाघ व नेपाली ‘जंग बहादुर’ , अब कहां रहे वैसे श्यूं-बाघ आप पढ़ चुके हैं। आज वह लेकर आयें है फसलों और त्यौहारों की कहानी  : प्रबंधक]


gehun-wheat“दोस्तो, तुम त्योहार की खुशियां मना रहे हो। तुम्हारी इस खुशी में हम भी शामिल हैं। हम भी? चौंक गए ना? हम यानी तुम्हारी हरी-भरी प्यारी-प्यारी फसलें! अच्छा, यह बताओ कि तुम त्योहार क्यों मनाते हो? खुशी के लिए, ठीक है ना? तो यह बताओ कि त्योहार आने पर तुम इतना खुश क्यों हो जाते हो? क्योंकि, इस मौके पर तुम्हें मिलते हैं खाने को बढ़िया, स्वादिष्ट ज्योनार यानी पकवान। तरह-तरह की मिठाइयां। पहनने को नए कपड़े। त्योहार की पहचान ही ज्योनार हैं। और, ज्योनार बनते हैं हमसे। हमारे अनाज, हमारी दालों, हमारे फल-फूलों और हमारे कंद-मूल से। दोस्तो, सच पूछो तो तुम्हारे त्योहारों की शुरूआत ही हमसे हुई।

बहुत पुरानी बात है। कम से कम एक लाख वर्ष पुरानी। तब तुम्हारे पुरखे वनों में रहते थे। और, हमारे भी। तुम्हारे पुरखे गुफाओं में रहते थे। हमारे पुरखे वनों में उगते थे। घासों के रूप में। झाड़ियों और पेड़-पौधों के रूप में। देखा तो किसी ने नहीं, लेकिन दोस्तो कहा जाता है- एक बार तुम्हारा कोई पुरखा हमारे पुरखों के पास से निकला। हमारे पुरखे हिले तो उनके कुछ पके हुए बीज धरती पर गिर पड़े। तुम्हारे पुरखे ने गौर से देखा। वह खुश हुआ। कुछ बीज मुट्ठी में दबाए और गुफा के अपने घर में लौटा। अपनी पत्नी को बीज दिखाए। दोनों ने कुछ बीज चबाए कुछ बाहर फेंक दिए। दोस्तो, बादल घिरे। वर्षा आई। बीज भीगे। उनमें अंकुर फूटे। नन्हे पौधों में पत्तियां निकल आईं। वे बढ़ते-बढ़ते पुरखों जैसे पौधे बन गए। उनमें फूल खिले और बीज बने। तुम्हारे पुरखे की पत्नी सब कुछ देख रही थी। उसने पुरखे को दिखाया। पुरखे ने हैरान होकर देखा- हू-ब-हू वैसे ही बीज जैसे वह वन से लाया था! वे खुशी से नाच उठे। उनकी गुफा के आंगन में ही बीज पैदा हो गए थे! दोस्तो, मानव जीवन में शायद वही पहला त्योहार रहा होगा। और, वही हमारा भी पहला त्योहार था। जानते होprehistoric-men क्यों? क्योंकि उसी दिन से हमारी खेती शुरू हुई। तुम्हारे पुरखे ने हमारे पुरखों को जंगली से पालतू बनाना शुरू कर दिया। तुम्हारी सभ्यता भी उसी दिन से शुरू हुई और हमारी सभ्यता भी। अब देखो, आज तुम और हम इस सभ्यता की दौड़ में कहां से कहां तक पहुंच गए हैं! हम यानी मैं गेहूं, यह धान, वह मक्का और वे ज्वार, बाजरा, गन्ना, कपास, मूंगफली, आलू, चाय, कॉफी, इलायची, काली मिर्च……कितने नाम गिनाऊं? पहले हम सब जंगलों में उगते थे और जंगली थे। आज तुम्हारी तरह हम भी सभ्य हो गई हैं। तुम्हारा और हमारा अटूट साथ है क्योंकि हम तुम्हें भोजन देती हैं।

अब तुम समझ गए हौगे, त्योहार से हमारा क्या रिश्ता है। तुम्हारे पुरखों ने हमारी लहलहाती खेती के लिए त्योहार बनाए। भरपूर उपज देख कर त्योहार मनाए। कहने का मतलब यह कि अच्छी फसल और बढ़िया उपज की खुशी में त्योहार मनाए जाने लगे। आज भी तुम्हारे ज्यादातर त्योहार हमारे लिए मनाए जाते हैं। और, त्योहार में बढ़िया चीजें खाने के लिए हमारे ज्योनार बनाए जाते हैं। जब हम फसलें तैयार हो जाती हैं तो कई इलाकों के लोग तो पहले हमें अपने ईष्ट देवताओं को चढ़ाते हैं। सूर्य और प्रकृति को भेंट करते हैं और अच्छी उपज देने के लिए प्रकृति और धरती माता को धन्यवाद देते हैं। दें भी क्यों नहीं, तुम्हारे घर में जो ‘भगवद्गीता’ रखी है, उसमें भी लिखा है- अन्न से ही जीवों का जन्म होता है और अन्न वर्षा के कारण होता है….तुम्हारे वैदिक युग में खेतों में हल चलाते हुए भी प्रार्थना की altजाती थी कि हे धरती मां, भरपूर पैदावार देना। आज भी देश के कई भागों में जुताई-बोआई करते समय पूजा करके प्रकृति से अधिक उपज देने की प्रार्थना की जाती है। नवान्न ईष्ट देवों को चढ़ाया जाता है।

तुम सोच रहे होगे कि ज्योनार कहां रह गए? ज्योनारों के बारे में सोच-सोच कर मुंह में पानी भर रहा होगा ना? तुम्हारे पुरखों के मुंह में भरता था और हजारों साल से हर साल हमारे ज्योनार लोगों के मुंह में पानी भरते आ रहे हैं। पूड़ी, हलवा, पुए, मालपुए, खीर, जलेबी, बड़ा, खिचड़ी, पकौड़े, मक्की की रोटी, सरसों का साग, भाखरी, पूरनपोली, घेवर, दाल-बाटी-चूरमा, पारिप्पू, कुट्टुकरी, प्रधामन…और भी न जाने क्या-क्या बनता है हमारे अनाज, साग-सब्जियों और दालों से। और फिर, इस गन्ने की मिठास के क्या कहने! हर मीठे ज्योनार और मिठाई में इसी की तो मिठास है।alt
दुर्गा पूजा का त्योहार आ रहा है। चार दिन दुर्गा की पूजा होगी और देवी के लिए खिचड़ी का ‘मूल भोग’ लगेगा। पश्चिम बंगाल और देश के अन्य भागों में दुर्गा पूजा के अवसर पर लोग खिचड़ी खाएंगे। चावल और मूंग की खिचड़ी। उसके बाद दीपावली का जगमग त्योहार आएगा। लक्ष्मी को गन्ने से सजाया जाएगा। मेरे यानी गेहूंKaley Kavva Kaley के आटे की गरमा-गरम पूड़ियां बनेंगी और बिना नमक के सादा सब्जी बनेगी। प्रसाद में गन्ना चबाएंगे और नारियल के लड्डू खाएंगे। यह तो हुई पश्चिम बंगाल की बात। उत्तरी भारत में खील-बतासों और तरह-तरह के पकवानों से लक्ष्मी का भोग लगेगा। खील बिखरा कर भरपूर उपज की प्रार्थना की जाएगी। दोस्तो, इस मौके पर पुरखों को भी याद किया जाएगा। उन्हें पानी और तिल के लड्डओं का तर्पण दिया जाएगा। देश के कई भागों में इस दिन चिउड़े और शकरपारे खूब बनाए जाते हैं। हलवा, पूड़ी, खीर और पुए तो पकेंगे ही। गोवर्द्धन पूजा में अन्न का पहाड़ ‘अन्नकूट’ बना कर पूजा करेंगे। और, भैयादूज को जब बहिनें भाइयों को तिलक लगाएंगी तो चावल के ‘अक्षतों’ को माथे पर टिकाएंगी। ‘बड़ा दिन’ तो बड़ा दिन ही है। इस दिन मेरे यानी गेहूं के मैदे या आटे का जो स्वादिष्ट केक बनता है उसका स्वाद और मिठास तो तुम्हें अब तक याद होगी।

पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ‘लोहड़ी’ के त्योहार से सर्दियों के समाप्त होने की सूचना मिलती है। इस त्योहार की शान है- शानदार दावत। आग में तिल, खील, मूंगफली, मकई और रेवड़ियों की भेंट चढ़ा कर बढ़िया फसल और धन-धान्य की प्रार्थना करके लोग स्वादिष्ट ज्योनार जीमते हैं। उसमें मक्की की रोटी, सरसों का साग तो होता ही है, नारियल चिक्की, पिन्नी, तिलभुग्गा और गजक की मिठास भी होती है। इसके साथ ही ‘मकर संक्रांति’ का त्योहार भी शुरू होता है। उत्तरी भारत में इस अवसर पर खिचड़ी बनाई जाती है। उत्तराखंड में बच्चे इस त्योहार में बने ज्योनार काले कव्वों को खिलाते हैं। अनेक ज्योनारों के साथ-साथ बच्चों के लिए मेरे आटे के पशु-पक्षियों, डमरू, चक्री और सांकल के आकार के ‘घुघुते’ बनाए जाते हैं। बच्चे उनकी माला पहन कर कव्वों को पकवान खिलाते हैं- हलवा, पूड़ी, खीर और बड़ा। वे कव्वों से अपनी मन मांगी इच्छा भी पूरी करने को कहते हैं, जैसे ‘ले कव्वा बड़, मैं कें दे ठुल-ठुल गड़’ यानी ले कव्वे बड़ा, मुझे देना बड़ा-बड़ा खेत। राजस्थान में इस अवसर पर लोबिया के पकोड़े ‘चौड़े’ बनाए जाते हैं। बाजरे के आटे को गुड़ के पानी से गूंध कर, उसमें तिल मिला कर स्वादिष्ट ‘गुड़-चंदियां’ बनाईं जाती हैं।

[जारी है]

Related posts

2 Thoughts to “त्योहार तुम्हारे, ज्योनार हमारे”

  1. bahu achi baat batai hai aapne

    shukriya

  2. Umaraw Singh Bisht

    dhanyabdd

Leave a Comment